“खोने तक अपनी हस्ती कोई साहिल न मिला
जो मिला वो भी चंद लमहों का मेहमान निकला
हम कब से उम्मीद लगाए खड़े है इंतज़ार में उसके आने के,
कोई आया तो नहीं,मगर फ़ासला और बना.....”
-राम
जो मिला वो भी चंद लमहों का मेहमान निकला
हम कब से उम्मीद लगाए खड़े है इंतज़ार में उसके आने के,
कोई आया तो नहीं,मगर फ़ासला और बना.....”
-राम
No comments:
Post a Comment