Sunday, 6 May 2018

हद से गुज़र जाऊँगा वो आशिक़ हु मैं
ज़रा तबियत से आँखों में झाँककर तो देख....


-राम 


मेरी तरहा आज वो भी 
कुछ उदास-उदास लग रहे है 
झुकीं-झुकीं नज़रों से,
अपना हाल ये दिल बायाँ कर रहे हैं....

-राम 



‘भरोसा’ ज़माने पर करना
हमारी आदत हैं
हरबार ‘धोखा’देना ,
ज़माने की आदत है .....


-राम 


‘उम्मीद’ कभी न करना 
किसी से कुछ पाने की 
मजबूर बना देती है 
‘झूठी’उम्मीद ज़माने की .....



-राम 



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