हद से गुज़र जाऊँगा वो आशिक़ हु मैं
ज़रा तबियत से आँखों में झाँककर तो देख....
-राम
मेरी तरहा आज वो भी
कुछ उदास-उदास लग रहे है
झुकीं-झुकीं नज़रों से,
अपना हाल ये दिल बायाँ कर रहे हैं....
-राम
‘भरोसा’ ज़माने पर करना
हमारी आदत हैं
हरबार ‘धोखा’देना ,
ज़माने की आदत है .....
-राम
‘उम्मीद’ कभी न करना
किसी से कुछ पाने की
मजबूर बना देती है
‘झूठी’उम्मीद ज़माने की .....
-राम
ज़रा तबियत से आँखों में झाँककर तो देख....
-राम
मेरी तरहा आज वो भी
कुछ उदास-उदास लग रहे है
झुकीं-झुकीं नज़रों से,
अपना हाल ये दिल बायाँ कर रहे हैं....
-राम
‘भरोसा’ ज़माने पर करना
हमारी आदत हैं
हरबार ‘धोखा’देना ,
ज़माने की आदत है .....
-राम
‘उम्मीद’ कभी न करना
किसी से कुछ पाने की
मजबूर बना देती है
‘झूठी’उम्मीद ज़माने की .....
-राम
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