कबसे ख़ुद को ख़ामोश रक्ख़ा हैं
दिल धड़का नहीं, दबोच रक्ख़ा है,
तुम नहीं जानते हमसे बात क्यूँ नहीं होती
बातों का समंदर हमने बंद रक्ख़ा है...!!!
-राम
दिल धड़का नहीं, दबोच रक्ख़ा है,
तुम नहीं जानते हमसे बात क्यूँ नहीं होती
बातों का समंदर हमने बंद रक्ख़ा है...!!!
-राम
मस्त
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