“निगाहें मिलाकर किया इस दिल को ज़ख़्मी
फिर अदाएँ दिखाकर सितम ढा रहें हो,
वफ़ाओं का क्या? ख़ूब बदला दिया तुमने
तड़पता हुआ तनहा छोड़कर जा रहें हो...”
-राम
“दुनियाँ के सारे सितम आकर
हमपर ही क्यूँ ? बरसते हैं
वो हमारें लियें, हम उनके लिए
आजकल-पल पल तरसतें हैं....”
-राम
फिर अदाएँ दिखाकर सितम ढा रहें हो,
वफ़ाओं का क्या? ख़ूब बदला दिया तुमने
तड़पता हुआ तनहा छोड़कर जा रहें हो...”
-राम
“दुनियाँ के सारे सितम आकर
हमपर ही क्यूँ ? बरसते हैं
वो हमारें लियें, हम उनके लिए
आजकल-पल पल तरसतें हैं....”
-राम
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