Saturday, 24 March 2018

Monday, 19 March 2018


“कभी अकेला....”

कभी अकेला,कभी प्यासा,तो कभी ‘तनहा’पाया

‘मौसम’ ख़ुशनसीब होकर भी ख़ुद को बदनसीब पाया....!

वक़्त ने हर बार चाहा आकर तेरा ‘दामन’ थामना

पास होकर भी दूर तुमसे बहोत ‘दूर’ पाया....!!

चाह कर भी ‘क़दम’ चल ना साके उस रह पर 

रह गुज़र को ही जब तुम्हारी ‘मंज़िल’ बनते पाया...!!!

इरादे कुछ ‘ख़ास’ करने के थे हमारे फिर भी कर ना सकें,

जब इरादों को ही तुम्हारा ‘इरादा’ बनते पाया..!!!!


-राम

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