“बहुत देखा.....”
ज़माने का हमसे बेवजह उलझना बहोत देखा
दिल लगाकर, दिल तोड़ना बहोत देखा,
एक पल में अपना बना लेती है ये दुनिया,
अपना बनाकर फिर छोड़ना, बहोत देखा...!!
हम तो सच के लिए मुश्किल से झट बोल लेते है ,
लोगों का बेवजह झूठ पर झूँठ बोलना बहुत देखा
किसी की तकलीफ़ों को समझना ‘इंसानियत ‘है ,
दुनिया का तकलीफ़ पर ‘तकलीफ़ ‘देना बहुत देखा
-राम
ज़माने का हमसे बेवजह उलझना बहोत देखा
दिल लगाकर, दिल तोड़ना बहोत देखा,
एक पल में अपना बना लेती है ये दुनिया,
अपना बनाकर फिर छोड़ना, बहोत देखा...!!
हम तो सच के लिए मुश्किल से झट बोल लेते है ,
लोगों का बेवजह झूठ पर झूँठ बोलना बहुत देखा
किसी की तकलीफ़ों को समझना ‘इंसानियत ‘है ,
दुनिया का तकलीफ़ पर ‘तकलीफ़ ‘देना बहुत देखा
-राम
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