Saturday, 24 March 2018

हम हुये, तुम हुये के मीर हुये,
उसकी जुल्फो के सब असीर हुए (बंदी)
जीन जीन को था ऐ इश्क का आजार,
हमारे साथी सभी बिमार मर गए....!!

-मोहम्मद मीर

जो लोग जान बुझकर नादान बन गए
मेरा खयाल है के वोह इंसान बन गए...!

-हमीद

घर से निकला तो फिर घर को क्या देखतां,
कौन था जो मेरा रास्ता देखतां,
एक कदम भी ना उठता तेरी राह में,
मैं अगर राह का फसला देखतां....!!!

-अंजान

"हम खुदा के कभी काईल हि न थे,
उनको देखा तो खुदा याद आया..."

- अंजान

Saturday, 24 March 2018



'साँस थम गयी..'                      (दिल्ली गँगरेप घटना के बाद कि प्रतिक्रिया ) - At Solapur/25th Dec-2012

‘वक्त’ ठहर गया
‘साँस’ थम गयी
तमाम कोशिसें जीने कीं
आखिर ‘नाकाम’ हो गयी....

                  पर मुझे ‘हंसी’ आती है
                  तुम्हारी ‘मर्दानगी’ पर
                  तुहारीं ‘इन्सानियत’पर
                  तुम्हारी ‘जिंददिली’पर

‘मर्दानगी’ का तो तुमने
मतलब हि बदल डाला
अब कौन ‘भरोसा’ करेगा
तुम्हारे मर्दानगी का...??

                 तो क्या फ़रक पडता है
                 मेरे लिये ‘हमदर्दी’ जताने से
                 आँखीर क्या ? फायदा मेरे लिये,
                 ‘आँसू’ बहाने का...?

ना मुझे कूछ ‘फिक्र’ थी
ना आपको कोई ‘मोल’ था
मेरी जिंदगी का....!!!



-Ram

             

     
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
अपने साए से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा
रात भर बातें करते हैं तारे
रात काटे कोई किधर तन्हा
डूबने वाले पार जा उतरे
नक़्श-ए-पा अपने छोड़ कर तन्हा
दिन गुज़रता नहीं है लोगों में
रात होती नहीं बसर तन्हा
हम ने दरवाज़े तक तो देखा था
फिर जाने गए किधर तन्हा

Written By-Gulzar Sahab
maiñ DhūñDtā huuñ jise vo jahāñ nahīñ miltā
na.ī zamīn nayā āsmāñ nahīñ miltā
na.ī zamīn nayā āsmāñ bhī mil jaa.e
na.e bashar kahīñ kuchh nishāñ nahīñ miltā
vo teġh mil ga.ī jis se huā hai qatl mirā
kisī ke haath us par nishāñ nahīñ miltā
vo merā gaañv hai vo mere gaañv ke chūlhe
ki jin meñ shole to shole dhuāñ nahīñ miltā
jo ik ḳhudā nahīñ miltā to itnā mātam kyuuñ
yahāñ to koī mirā ham-zabāñ nahīñ miltā
khaḌā huuñ kab se maiñ chehroñ ke ek jañgal meñ
tumhāre chehre kuchh bhī yahāñ nahīñ miltā

-Kaifi Azmi

“अगर आपके पास कमी है, अगर आप ग़रीबी या रोग के शिकार हैं, तो ऐसा इसलिए है क्यूँ की आप अपनी शक्ति पर यक़ीन नहीं करते हैं या उसे समझते नहीं है...