‘अपना बनाए रखना’
कुछ देर तबियत से,
आंस लगायें रखना,
कुछ इस तरहा हमपर ,
पलकें जमायें रखना...!
जैसे रोज ‘सुबह’ आकर
हमें जागती है ‘सूरज’ की रोशनी;
मयखना अपने हुस्न का ,
इस तरहाँ सजायें रखना...!!
बड़े ‘शौक़’से जी रहे है हम
‘आसमान’में उड़ रहें हैं हम,
तुम्हें पाया है जब से,
पल-पल उभरने लगें है हम....!!!
‘हसरतें’बहुत सी होती है दिल की
बस एक ही पूरी करना
बड़ी ‘मेहरबानी’होगी हमपर
हमें अपना बनायें रखना.....!!!!
-राम
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