Sunday, 8 April 2018

‘अपना बनाए रखना’

कुछ देर तबियत से,
आंस लगायें रखना,
कुछ इस तरहा हमपर ,
पलकें जमायें रखना...!

                जैसे रोज ‘सुबह’ आकर
                हमें जागती है ‘सूरज’ की रोशनी;
                मयखना अपने हुस्न का ,
                इस तरहाँ सजायें रखना...!!

बड़े ‘शौक़’से जी रहे है हम
‘आसमान’में उड़ रहें हैं हम,
तुम्हें पाया है जब से,
पल-पल उभरने लगें है हम....!!!

               ‘हसरतें’बहुत सी होती है दिल की 
               बस एक ही पूरी करना 
               बड़ी ‘मेहरबानी’होगी हमपर 
               हमें अपना बनायें रखना.....!!!!


-राम
          

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