Thursday, 5 July 2018


“कुछ अब भी बाक़ी...”


कुछ अब भी बचा हैं क्या ज़रा ढूँढ लेना
कोई सवाल अब भी बाक़ी हो तो ज़रा ढूँढ लेना 

तुम चाहतें आख़िर क्या हो ???
शायद तुम्हें मालूम नहीं,
कितने बेवक़ूफ़ बन रहें हो 
कोई अंदाज़ा हीं नहीं...!!

अपनों की थोड़ी तो ‘क़द्र’करों
‘भरोसा’किसी का इतना मत तोड़ों
उसका ‘यक़ीन’था,के तुम उसका साथ दोगे,
किसी के यक़ीन को इतना भी मत तोड़ो...!!!

चाहें जो मर्ज़ी बहाने बना लो 
जितना चाहें और हमें सज़ा’दो 
हौसलें ‘मोहब्बत’ के तोड़ पाना तुम्हारे बस की बात नहीं 
सच्चे इश्क़ की आग हैं, ‘रोक’ पाना किसी के बस की बात नहीं

कोई और नई ‘तरकीब’मिलती हैं तो ढूँढ लेना 
कोई ‘नायाब’ नया बहाना ढूँढ लेना 

तुम चाहकर भी रोक नहीं पाओगे
इश्क़ वो आतिशी ‘सैलाब’ है, 
लाख कोशिशें करो मिटाने की,
तुम मिटाने से भी, मिटा न पाओगे...!!!


-राम 


Tuesday, 3 July 2018

“अगर प्यार ख़ता है....”

अगर जो प्यार ख़ता है तो कोई बात नहीं
क़ज़ा ही उस की सज़ा है तो कोई बात नहीं
तू सिर्फ़ मेरी है उस का ग़ुरूर है मुझ को
अगर ये वहम मेरा है तो कोई बात नहीं
मुआ'फ़ करने की आदत नहीं है वैसे तो
अगर ये तीर तेरा है तो कोई बात नहीं
बिना बदन के तअ'ल्लुक़ बचा नहीं सकते
यही जो रस्ता बचा है तो कोई बात नहीं
हाँ मेरे बा'द किसी और का हो जाना
तू आज मुझ से जुदा है तो कोई बात नहीं

-आस समस्तिपूरी

“अगर आपके पास कमी है, अगर आप ग़रीबी या रोग के शिकार हैं, तो ऐसा इसलिए है क्यूँ की आप अपनी शक्ति पर यक़ीन नहीं करते हैं या उसे समझते नहीं है...